‘यहां तो हर ब्लॉक में किराएदार रहते हैं। हर महीने नए किराएदार आ जाते हैं, उनका पुलिस वैरिफिकेशन भी नहीं होता। हमें भी पता नहीं होता कि पड़ोसी कौन है? हमारी मल्टी में तो कुछ ऐसे मालिक हैं। जिन्होंने अपना फ्लैट अलॉट होने के बाद किराए पर दे दिया और खुद झुग्गी में जाकर रह रहे हैं।’
ये कहना है अनिता का जो राजधानी भोपाल की राहुल नगर के हाउसिंग फॉर ऑल प्रोजेक्ट के एक तहत बनाई बिल्डिंग के एक फ्लैट में रहती है। दरअसल, केंद्र सरकार की हाउसिंग फॉर ऑल योजना उन शहरी गरीबों के लिए है, जिनके पास खुद का मकान नहीं है। जो झुग्गी में रहते हैं। केंद्र सरकार की मदद से ये लोग झुग्गी से निकल कर पक्के मकानों में रहने आ गए, लेकिन ज्यादातर ने मकान किराए पर दे दिए और वापस झुग्गी में रहने चले गए हैं।
24 सितंबर को हाउसिंग फॉर ऑल (एचएफए) की ऐसी ही मल्टी में रहने वाली एक पांच साल की बच्ची की रेप और हत्या की घटना के बाद इस मामले का खुलासा हुआ। आरोपी किराएदार ही था। राजधानी में एचएफए के 18 प्रोजेक्ट हैं जिसमें 15 हजार फ्लैट हैं।
दैनिक भास्कर ने राजधानी भोपाल की 4 मल्टी की पड़ताल की तो पाया कि ज्यादातर में 20 से 50 फीसदी तक किराएदार रहते हैं। उनका पुलिस वैरिफिकेशन भी नहीं है। किसी भी मल्टी में सुरक्षा व्यवस्था के भी कोई इंतजाम नजर नहीं आए। इस मामले में नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि इस गड़बड़ी को रोकने के लिए अब यहां रहने वाले लोगों का आधार कार्ड उनकी रजिस्ट्री से लिंक किया जाएगा। पढ़िए ये रिपोर्ट