फिर प्रस्ताव तैयार:5 साल में कलेक्टर गाइडलाइन 600% बढ़ी, नतीजा-40 फीसदी प्रॉपर्टी बिक ही नहीं पा रही

  • 2 months ago
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प्रदेश में राजस्व बढ़ाने के अभियान के तहत में उन लोकेशंस पर प्रॉपर्टी के दाम बढ़ाने का फैसला किया गया है, जहां फिलहाल अधिक दाम पर ज्यादा रजिस्ट्रियां हो रही हैं। बुधवार को केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड जिलों से आए प्रस्तावों को अंतिम मंजूरी देगा। भोपाल में 3883 लोकेशंस में 243 ऐसी हैं, जहां ज्यादा रजिस्ट्री हुई हैं। इसके लिए भोपाल कलेक्टर ने जिला मूल्यांकन समिति की बैठक लेकर कीमतों में वृद्धि का प्रस्ताव आईजी, पंजीयन और मुद्रांक को भेजा है। ढाई हजार से अधिक लोकेशंस पर प्रॉपर्टी रेट साल में दूसरी बार बढ़ जाएंगे।

इधर, भोपाल में प्रॉपर्टी के दाम बढ़ाए जाने का विरोध शुरू हो गया है। भोपाल क्रेडाई का तर्क है कि बीते पांच साल में यहां कलेक्टर गाइडलाइन में प्रॉपर्टी के दाम में 300-600% तक बढ़ोतरी हो चुकी है। जबकि इंदौर में महज 80 प्रतिशत ही बढ़ोत्तरी हुई है। कई लोकेशन ऐसी हैं, जहां प्रॉपर्टी के दाम कलेक्टर गाइडलाइन से काफी कम है, लेकिन गाइडलाइन अधिक होने से वहां प्रॉपर्टी का लेन-देन नहीं हो पा रहा है। ऐसी प्रॉपर्टी की संख्या भोपाल में 40% के आसपास है।

आम जनता पर सीधा असर

क्रेडाई के अनुसार, खास बात यह है कि प्रॉपर्टी टैक्स और रजिस्ट्री से जुड़े चार्ज भी कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से ही देने पड़ते हैं।, ऐसे में गाइडलाइन में अधिक बढ़ोतरी होने से आम जनता पर असर सीधा असर पड़ रहा है। इसके कारण प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त भी प्रभावित हो रही है।

क्रेडाई ने की मांग…प्री कोविड स्तर पर करें गाइडलाइन के दाम, 3 साल तक स्टेबल लॉक-इन पीरियड की मांग

क्रेडाई के अनुसार, भोपाल में सर्किल रेट में अत्यधिक वृद्धि से न केवल रियल एस्टेट उद्योग, बल्कि आम जनता पर भी भारी वित्तीय बोझ पड़ा है। पिछले वर्षों में इंदौर के मुकाबले भोपाल में कई गुना बढ़ी दरें जनविरोधी साबित हो रही हैं, जिससे ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ मिशन को भी चुनौती मिल रही है।

क्रेडाई का कहना है कि भोपाल की जनता और उद्योगों के हित में भोपाल में रेंट कम करने, उपबंध समाप्त करने और तीन वर्षों के स्थिर लॉक-इन पीरियड की मांग डिप्टी सीएम से की है। ताकि स्थिरता और संतुलित विकास की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके। क्रेडाई ने कहा ​है, सरकार इस वृद्धि पर पुनर्विचार कर जनहित को भी प्राथमिकता दे।

ये है दोहरी मार…

मध्यप्रदेश में स्टाम्प ड्यूटी देशभर में सबसे ज्यादा वैसे ही मप्र में अभी स्टाम्प ड्यूटी 9.5% है। यह देश में सबसे अधिक है। रजिस्ट्रेशन चार्ज भी 3% होने से प्रॉपर्टी खरीदने में अधिक दाम चुकाने पड़ते हैं। महिलाओं को स्टाम्प ड्यूटी में 2% की छूट मिलती है। फिर भी एक साल में दो-दो बार कलेक्टर गाइडलाइन बढ़ाई जा रही है। इससे आम लोगों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना महंगा हो जाएगा।

भोपाल में हर साल 20 फीसदी तक बढ़ा दिए जाते हैं दाम

2012 से अब तक होशंगाबाद रोड और कोलार क्षेत्र में दो हाई वैल्यू की रजिस्ट्री को आधार बनाकर छह सौ फीसदी तक रेट बढ़ा दिए गए। 2012-13 के बाद तो स्थिति और ज्यादा खराब हो गई। एक कॉलोनी की महज दो रजिस्ट्री के आधार पर वहां के रेट 20 फीसदी तक बढ़ा दिए जाते हैं। अब तक कलेक्टर गाइडलाइन में जमीनों की दरों में 600 प्रतिशत तक बढ़ोतरी कर दी गई है। भले ही यहां इतने अच्छे सौदे नहीं हो रहे हों। इसकी वजह से आम लोगों के लिए मकान या प्लॉट खरीदना मुश्किल होता जा रहा है।

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