प्रदेश में जल्द ही प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन आसान हो जाएगा। नया संपदा-2.0 सॉफ्टवेयर तैयार हो चुका है। इसमें प्रदेशभर के साढ़े 4 करोड़ खसरों को तकरीबन 10 करोड़ प्रॉपर्टी नंबरों से लिंक कर दिया गया है। हर प्रॉपर्टी की जियो टैगिंग की गई है। प्रॉपर्टी लिंक होने से जमीनों की खरीद-फरोख्त में फर्जीवाड़ा रुकेगा। इसके साथ ही बेनामी संपत्तियों का भी खुलासा होगा। नई व्यवस्था में हर प्रॉपर्टी का यूनीक लैंड पार्सल आईडेंटिफिकेशन नंबर होगा। विभाग की तैयारी पूरी है। सीएम को इसका शुभारंभ करने के लिए पत्र लिखा जा चुका है। उनका समय मिलते ही यह सेवा शुरू हो सकती है।
कृषि भूमि की रजिस्ट्री के साथ नामांतरण करने वाला मप्र पहला राज्य
आधुनिक तकनीक से रजिस्ट्री के साथ ऑनलाइन नामांतरण करने वाला मप्र देश का पहला राज्य बन गया है। मप्र ने 2018 में सायबर तहसील के जरिये से कृषि भूमि के अॉनलाइन नामांतरण का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था, इसे फरवरी 2024 से पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया और 11 अगस्त से किसी खसरे के भाग की रजिस्ट्री का नामांतरण भी ऑनलाइन हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि अब तक 80 लाख राजस्व प्रकरणों का निराकरण किया गया है। 36 जिलों में नामांतरण के 100% प्रकरण खत्म हो चुके हैं।
संपदा 2.0… जानें रजिस्ट्री में क्या बदलाव होंगे, क्या फायदा होगा
1. गाइडलाइन से लेकर सर्वे तक सब एप से होगा
संपदा-2.0 एप पर हर जगह की कलेक्टर गाइडलाइन लिंक है। किसी प्रॉपर्टी की लोकेशन पर पहुंचते ही एप कलेक्टर गाडलाइन बता देगा। एप से ही संपत्ति का फोटो ले सकेंगे। इसी से ई-टोकन जनरेट होगा। सर्च रिपोर्ट, रजिस्ट्री का स्टेटस आदि के लिए सर्विस प्रोवाइडर की मदद नहीं लेनी होगी। प्रॉपर्टी का फोटो भी एप से लेना होगा। यही रजिस्ट्री में मान्य होगा।
2. डीड और स्टाम्प खुद लिख, जनरेट कर सकेंगे
संपदा-2 में पंजीयन की वेबसाइट पर यूजर आईडी बनानी होगी। ई-रजिस्ट्री के जरिए खुद ही स्टांप ड्यूटी और प्रॉपर्टी की डीड जनरेट कर सकेंगे। ई-स्टाम्प भी खुद जनरेट कर सकेंगे। इसके लिए व्यक्ति को खुद के ई- साइन या डिजिटल साइन बनवाना पड़ेंगे। ऑनलाइन दस्तावेज अपलोड कर प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड हो जाएगी। कॉपी ई-मेल और वॉट्सएप पर मिलेगी।
3. गवाहों की जरूरत नहीं, आधार नंबर चलेगा
नई व्यवस्था में रजिस्ट्री ऑफिस में गवाह लाने की जरूरत नहीं होगी। आधार नंबर से ही काम हो जाएगा। अभी संपत्ति खरीदते और बेचते समय दो गवाह लगते हैं। पंजीयन विभाग ने पोर्टल को यूआईडीएआई से लिंक किया है। रजिस्ट्री पर प्रॉपर्टी के लोन की पूरी जानकारी डिस्प्ले होगी। इससे दोबारा फर्जी रजिस्ट्री और बैंकिंग फ्रॉड रोकने में मदद मिलेगी।
4. जिसकी प्रॉपर्टी, वही बेच पाएगा...
प्रॉपर्टी के चिह्नांकन के लिए हर प्रॉपर्टी को 14 अंकों की यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (UPIN) दिया जाएगा। ये रजिस्ट्री की कॉपी पर होगा। नंबर डालने पर प्रॉपर्टी बेचने वाले व्यक्ति की पूरी डिटेल और फोटो मैच हो जाएंगे। बिना इसके प्रक्रिया नहीं बढ़ेगी।
5. खुद ही चला जाएगा नामांतरण का आवेदन- सभी विभागों से संपदा-2 के सॉफ्टवेयर को लिंक कर दिया गया है। यानी रजिस्ट्री होने के बाद नामांतरण की प्रक्रिया का आवेदन, नगरीय निकाय में ऑनलाइन ही पहुंच जाएगा। संबंधित व्यक्ति को फोन पर ही पता चल जाएगा कि कितना टैक्स जमा करना है।
6. खरीद-फरोख्त करने वाले हर व्यक्ति का ई-केवायसी होगा नई व्यवस्था में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त करने वाले हर व्यक्ति का आधार, पैन और पासपोर्ट नंबर से ई-केवायसी किया जाएगा। इससे असली व्यक्ति की पहचान में आसान होगी। संस्थाओं, प्राइवेट कंपनी और फर्म आदि के वेरिफिकेशन के लिए उनके कॉर्पोरेट आईडेंटिफिकेशन नंबर, जीएसटी नंबर और पैन से संपदा सॉफ्टवेयर को लिंक कर दिया गया है।